भगवद गीता अध्याय 5.1~ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता और कर्मयोग की वरीयता
अध्याय पाँच (Chapter -5) भगवद गीता अध्याय 5.1 ~ के शलोक 01 से शलोक 06 तक ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता …
अध्याय पाँच (Chapter -5) भगवद गीता अध्याय 5.1 ~ के शलोक 01 से शलोक 06 तक ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता …
अध्याय चार (Chapter -4) भगवद गीता अध्याय 4.5 ~ में शलोक 34 से शलोक 42 तक ज्ञान की …
अध्याय चार (Chapter -4) भगवद गीता अध्याय 4.4 ~ में शलोक 24 से शलोक 33 तक फलसहित विभिन्न यज्ञों का …
अध्याय चार (Chapter -4) भगवद गीता अध्याय 4.2 ~ कर्म-विकर्म एवं अकर्म की व्याख्या में शलोक 16 से शलोक 18 …
अध्याय तीन (Chapter -3) भगवद गीता अध्याय 3.5 ~ में शलोक 36 से शलोक 43 तक पाप के कारणभूत कामरूपी शत्रु …
अध्याय तीन (Chapter -3) भगवद गीता अध्याय 3.4 ~ अज्ञानी और ज्ञानवान के लक्षण में शलोक 25 से शलोक …
अध्याय तीन (Chapter -3) भगवद गीता अध्याय 3.3 ~ में शलोक 17 से शलोक 24 तक ज्ञानवान और भगवान के …
अध्याय तीन (Chapter -3) भगवद गीता अध्याय 3.2 ~ में शलोक 09 से शलोक 16 तक यज्ञादि कर्मों …
अध्याय तीन (Chapter -3) भगवद गीता अध्याय 3.1 ~ ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार नियत कर्म करने की …
अध्याय दो (Chapter -2) भगवद गीता अध्याय 2.4 ~ कर्मयोग का उपदेश में शलोक 39 से शलोक 53 …