भगवद गीता अध्याय 4.3 || कर्म में अकर्मता-भाव,नैराश्य-सुख,यज्ञ || Powerful Bhagavad Gita
अध्याय चार (Chapter -4) भगवद गीता अध्याय 4.3 ~ में शलोक 19 से शलोक 23 तक कर्म में अकर्मता-भाव, नैराश्य-सुख, यज्ञ …
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता हिंदी में~Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi
अध्याय चार (Chapter -4) भगवद गीता अध्याय 4.3 ~ में शलोक 19 से शलोक 23 तक कर्म में अकर्मता-भाव, नैराश्य-सुख, यज्ञ …
Sampurn Shrimad Bhagavad Gita सम्पूर्ण भगवद गीता गीता हिंदी में व्यापक प्रकाशन और पठन होता रहा है , किन्तु मूलतः …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.7 में शलोक 67 से शलोक 78 श्री गीताजी के माहात्म्य के विषय का …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.6 में शलोक 56 से शलोक 66 फलसहित , भक्तिसहित कर्मयोग के विषय का …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.5 में शलोक 49 से शलोक 55 वर्ण धर्म सहित ज्ञाननिष्ठा के विषय …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.4 में शलोक 41 से शलोक 48 फल सहित वर्ण धर्म के …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.3 में शलोक 19 से शलोक 40 तीनों गुणों के अनुसार ज्ञान, कर्म, कर्ता …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.2 में शलोक 13 से शलोक 18 कर्मों के होने में सांख्यसिद्धांत के कथन …
अध्याय अठारह (Chapter -18) भगवद गीता अध्याय 18.1 में शलोक 01 से शलोक 12 में संन्यास की सिद्धि और त्याग के विषय …
अध्याय सोलह (Chapter -17) भगवद गीता अध्याय 17.3 में शलोक 23 से शलोक 28 ॐ तत्सत् के प्रयोग की व्याख्या का …