शिव जी की आरती हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव त्रिमूर्ति के बीच संहारक हैं. वह योगियों के देवता हैं और एक सर्वज्ञ योगी के रूप में वर्णित हैं, जो कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी जीवन जीते हैं. शिव को कई नामों से जाना जाता है – महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोले नाथ, शंभू और शंकर. शिव ब्रह्मांडीय नर्तक हैं और उन्हें नर्तकियों के भगवान नटराज के रूप में भी जाना जाता है !
प्रत्येक सोमवार को सच्चे मन से शिव आरती करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं , कई लोग प्रतिदिन अथवा महाशिवरात्रि सहित भगवान शिव को समर्पित अन्य त्योहारों पर शिव आरती गाते हैं !
शिव जी की आरती
जय शिव ओंकारा हर शिव ओंकारा ,
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ,
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
दो भुज चार चतुर्भुज दशभुज ते सोहे ,
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
अक्षमाला बनमाला रूण्डमाला धारी ,
त्रिपुरारि कंसारी करमाला धारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे ,
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
कर मध्ये कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ,
जगकरता जगहरता जगपालन करता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ,
प्रणवाक्षर के मध्ये यह तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
त्रिगुण शिव की आरती जो कोई नर गावे ,
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
कर्पूरगौरं मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ॥
हर हर महादेव … भगवान शिव की जय …. काशी विश्वनाथ की जय !
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