विष्णु जी की आरती दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम जी द्वारा लिखी गई थी । यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा , उत्सव पर गाया जाता हैं । कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिल जाता है ।
विष्णु जी की आरती एक गुन गुनार है, जो विष्णु जी के साथ संबंधित सभी धार्मिक अभ्यास और विधानों को स्मरण करने के लिए सदियों से प्रचलित है। इस आरती को प्रात:काल या सायंकाल के समय गाए जाते हैं। इस आरती के माध्यम से विष्णु जी के हृदय में आज्ञा पाते हैं और उनकी आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको विष्णु जी की आरती के बारे में जानकारी और उनकी आरती के लिए मंगल शब्द भी उपलब्ध कराएंगे।
श्री विष्णु जी को भक्ति के श्रेष्ठ प्रतीक माना जाता है और उनकी आरती के द्वारा उनकी भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों ने अलग-अलग तरह के आरती पढ़ी है। हमारे यहाँ पर हम आपको श्री विष्णु जी की आरती के बारे में जानकारी देने वाले एक ब्लॉग पोस्ट के बारे में बताएंगे जो आपको उनकी आरती को जानने और पढ़ने में मदद करेगी। इस पोस्ट में हम आपको विष्णु जी की आरती के सभी पाठ के बारे में समझाएंगे और उनकी शान्ति और आशीर्वाद पाने के लिए आपको उनकी आरती को पढ़ने की सलाह देंगे।
भगवान विष्णु की आरती एक प्राचीन भारतीय धार्मिक गीत है। यह आरती हमारे प्रार्थनाओं, संकल्पों और आशीर्वादों को स्वीकार करने के लिए भगवान विष्णु की प्रसन्नता को आग्रह करने के लिए प्रायोजित है। यह आरती आदर्श भगवान विष्णु को स्मरण करने और उनके प्रत्येक आशीर्वाद को समझने के लिए हमारे दिलों में आश्चर्य और प्रेम का आभास कराती है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको भगवान विष्णु जी की आरती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि इस ब्लॉग के जरिए देश के लाखों पाठकों तक विष्णु जी की आरती भक्ति की लहर पहुंचे , आज हम विष्णु जी की एक लोकप्रिय आरती को आपके सामने रख रहे हैं !
विष्णु जी की आरती
ओऽम् जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनन के संकट , क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
जो ध्यावे फल पावे , दुःख विनसे मन का ॥ प्रभु ॥
सुख सम्पत्ति घर आवे , कष्ट मिटे तन का ॥
॥ॐ जय जगदीश हरे ॥
मात पिता तुम मेरे , शरण गहूँ मैं किसकी ॥ प्रभु ॥
तुम बिन और न दूजा , आस करुँ जिसकी
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम पूरण परमात्मा , तुम अन्तर्यामी ॥ प्रभु ॥
पारब्रह्म परमेश्वर , पारब्रह्म परमेश्वर , तुम सबके स्वामी ॥
॥ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम करूणा के सागर , तुम पालन कर्ता ॥ प्रभु ॥
मैं मूरख खल कामी , कृपा करो भर्ता ॥
॥ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपति ॥ प्रभु ॥
किस विधि मिलूँ दयामय , तुमको मैं कुमति ॥
॥ॐ जय जगदीश हरे ॥
दीनबन्धु दुःख हर्ता , तुम रक्षक मेरे ॥ प्रभु ॥
अपने हाथ उठाओ , द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ॐ जय जगदीश हरे ॥
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा ॥ प्रभु ॥
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ , संतन की सेवा ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
तन , मन , धन सब कुछ है तेरा ॥ प्रभु ॥
तेरा तुझको अर्पण , क्या लागे मेरा ॥
॥ॐ जय जगदीश हरे ॥
Some Questions and Answers :
Q1। विष्णु जी की आरती कब होती है? उत्तर. विष्णु जी की आरती पूजा के बाद होने वाली पूजा है, इसका टाइम पूजा के बाद होता है। Q2। विष्णु जी की आरती का क्या मतलब है? उत्तर. विष्णु जी की आरती उसके प्रसन्नत में आराधना के लिए किया जाता है। इसमें दीप जलाकर विष्णु जी को श्री फलाहरियान दी जाती है। Q3। विष्णु जी की आरती में क्या नमन होते हैं? उत्तर. विष्णु जी की आरती में नमस्कार, श्रुति, शांति, सौभाग्य, शक्ति, पूर्णता, विद्या, ऐश्वर्या, श्री, मोक्ष, शांति, संपत्ति, आरोग्य और संतोष नमन किया जाता है। Q4। विष्णु जी की आरती में क्या क्या उपाय होते हैं? उत्तर. विष्णु जी की आरती में दीप जलाना, अर्घ्य देने, स्नान करने, तुलसी का पौधा धूप देने, दीया जलाकर उस्पर पान, अक्षत और पुष्प चढ़ाना, भोग लगाना और प्रसाद देने के उपचार होते हैं। Q5। विष्णु जी की आरती को किस तरह पूजा करनी चाहिए? उत्तर. विष्णु जी की आरती को पूजा करने के लिए सबसे पहले संकल्प करना चाहिए। उसके बाद आरती का गान करना चाहिए और आरती के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए। आखिरी में आरती में दिए गए मंत्र को पढ़कर पूजा खत्म करनी चाहिए।
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