लक्ष्मी जी की आरती || Powerful Lakshmi ji Ki aarti 1

आज के युग में धन और वैभव के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा माना जाता है । यही कारण है कि कलयुग में माता लक्ष्मी जी की आरती को सबसे ज्यादा पूजा जाता है । इसी कारण इन्हें धन और समृद्धि की साक्षात् देवी माना जाता है । माँ लक्ष्मी जी की शिक्षा , स्वर्ग की आराधना है। स्वर्ग में रहती है यह हमारी परमेश्वरी माँ लक्ष्मी जी उसे मार्ग दर्शक, संकट निवारक, दोष निवारक और शान्ति प्रदान करने वाले देवी के रूप में पूजते हैं। माँ लक्ष्मी जी से हमें आशीर्वाद और सुख ही नहीं, बल्कि शान्ति और उत्साह भी मिलता है। यह आरती हमें दिल से माँ लक्ष्मी जी को सम्मान देने का मार्ग दर्शती है।

आरती-श्री-लक्ष्मी-जी-की-_-Aarti-Shri-Lakshmi-
आरती-श्री-लक्ष्मी-जी-की-_-Aarti-Shri-Lakshmi-

श्री लक्ष्मी जी की आरती विशेष रूप से हिन्दू धर्म में पूजा की जाती है। यह आरती बुद्धि, सुख, समृद्धि और सुखमय जीवन का वर्णन करती है। श्री लक्ष्मी जी को विश्व में बहुत से लोग पूजते हैं और आरती का उपयोग करते हैं। श्री लक्ष्मी जी को पूजते समय वह केवल अपने कृपा और आशीर्वाद के लिए पूजा जाती है लेकिन आरती सुनने से वह बहुत अधिक आनंद महसूस करती है। श्री लक्ष्मी जी के पूजन से लोगों को अपने जीवन में सुख और आनंद मिलता है।

देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री लक्ष्मी जी की  आरती पढ़ें ……

लक्ष्मी जी की आरती 

ओऽम्  जय  लक्ष्मी  माता , मैया  जय  लक्ष्मी  माता । 

तुमको  निशदिन  सेवत  ,  हर  विष्णु  धाता ॥

॥ ओ३म्  जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

उमा , रमा , ब्रह्माणी , तुम  ही  जग-माता । 

सूर्य-चन्द्रमा  ध्यावत  , नारद  ऋषि  गाता ॥

॥ ओ३म्  जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

दुर्गा  रूप  निरंजनि  ,  सुख-सम्पति  दाता । 

जो  कोई  तुमको  ध्यावत , ऋद्धि-सिद्धि  धन  पाता ॥

॥ ओ३म्  जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

तुम  पाताल  निवासिनी , तुम  ही  शुभ  दाता । 

कर्म-प्रभाव  प्रकाशिनि  , भवनिधि  की  त्राता ॥

॥ ओ३म्  जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

जिस  घर  में तुम  रहतीं , तहँ  सद्गुण आता । 

सब  सम्भव  हो  जाता , मन  नहीं  घबराता   ॥

॥ ओ३म्  जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

तुम  बिन  यज्ञ  न  होवे , वस्त्र  न  कोई  पाता । 

खान – पान  का  वैभव , सब  तुमसे  आता ॥

॥ ओ३म्  जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

शुभ – गुण – मन्दिर  सुन्दर , क्षीरोदधि – जाता । 

रतन  चतुर्दश  तुम  बिन  ,  कोई  नहीं  पाता ॥

॥ ओ३म्   जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

महालक्ष्मी  जी  की  आरती  , जो  कोई  जन  गाता । 

उर    समाता   ,   पाप   उतर   जाता   ॥

॥ ओ३म्   जय  लक्ष्मी  माता ॥ 

मां लक्ष्मी जी की आरती सूने : -

और भी पढ़े :

* श्री गणेश जी की आरती * व‍िष्‍णु जी की आरती * शिव जी की आरती * हनुमान जी की आरती * लक्ष्मी जी की आरती * दुर्गा जी की आरती * आरती कुंजबिहारी की

* सम्पूर्ण भगवद गीता हिंदी में~ Powerful Shrimad Bhagavad Gita in Hindi 18 Chapter

Social Sharing

Leave a Comment