दुर्गा जी की आरती की प्रसिद्ध आरती नवरात्रि , माता की चौकी , देवी जागरण , शुक्रवार व्रत , वट सावित्री व्रत , दुर्गा पूजा तथा करवा चौथ के दिन माता की आरती गाई जाती है । श्री अम्बा जी एक विशेष देवी हैं, जिन्हें भारतीय धर्म में पुराने समय से माना जाता है।
उन्हें महादेवी के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने भारत के देश को संस्कृति, साहित्य, गीत, कविता आदि के रूप में महानता दी है। उनकी आरती के द्वारा भी उनकी संमति और सहारा प्राप्त की जा सकती है। इस आरती के द्वारा श्रीमती अम्बा जी के दिल में भरी प्रेम और अनुग्रह उत्पन्न हो सकता है।
अम्बा जी की आरती को दुर्गा जी की आरती के नाम से जाना जाता है। यह आरती गुरुदेव के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गायी जाती है। आरती में प्रत्येक सुविचार गुरुदेव के आशीर्वाद और स्वागत का स्वरूप लेते हैं। इस आरती में भगवान् के गुणों और आदर्शों के बारे में भी बताया गया है। इसका गाना आसानी से समझा जा सकता है और यह हर आरती के बाद प्रार्थना के रूप में गाया जाता है।
दुर्गा जी की आरती एक प्राचीन हिंदू देवी भक्ति गीत है जो माता दुर्गा के सम्मान में गाया जाता है। यह गीत उत्साह और भक्ति के साथ गाया जाता है, जिसमें श्री अम्बा जी की प्रसन्नता प्रकट होती है। इसका गायन माता दुर्गा के प्रति सम्मान और आदर के साथ किया जाता है।
यह गीत अन्य देवी भक्ति गीतों के साथ साथ गाया जाता है जिसमें दुर्गा शास्त्र, गणेश चरण, माँ लक्ष्मी और अन्य देवताओं की भक्ति प्रकट होती है।हमारी श्री दुर्गा जी की यह ब्लॉग पोस्ट आपको आशीर्वाद प्रदान करेगी। यह आपके जीवन में आशीर्वादित आनंद प्रदान करेगी और आपके समस्याओं से आपको मुक्त करेगी।
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दुर्गा जी की आरती
जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत , हरि ब्रह्मा शिवजी ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
जय मांग सिंदूर विराजत , टीको मृगमद को ।
उज्जवल से दोउ नयना , चन्द्र वदन नीको ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
जय कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गल माला , कण्ठन पर साजै ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
केहरि वाहन राजत , खड्ग खप्पर धारी ।
सुर नर मुनि जन सेवत , तिनके दुःख हारी ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित , नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर , राजत सम ज्योति ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
जय शुम्भ – निशुम्भ विदारे , महिषासुर घाती ।
धूम्रविलोचन नयना , निशिदिन मदमाती ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
चण्ड – मुण्ड संहारे , शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे , सुर – भयहीन करे ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
ब्रह्माणी रूद्राणी , तुम कमला रानी ।
आगम – निगम बखानी , तुम शिव पटरानी ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
चौसठ योगिनि गावत , नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा , और बाजत डमरू ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
तुम ही जग की माता , तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता , सुख सम्पति करता ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित , वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत , सेवत नर – नारी ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
कंचन थाल विराजत , अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत , कोटि रतन ज्योति ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
माँ अम्बे जी की आरती , जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानन्द स्वामी , सुख सम्पति पावै ॥
॥ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी ॥
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