हिन्दू सनातन धर्म में माता गायत्री का स्थान ऊँचा है । गायत्री माता का मंत्र दुनिया में प्रचलित है। हमारे देश में गायत्री परिवार द्वारा माता गायत्री की उपासना की जाती है।
जिसमे गायत्री मंत्र एवं – गायत्री माता की आरती का गान गाया जाता है। माता गायत्री को सभी धार्मिक ग्रथो एवं वेद को लिखने का श्रेय जाता है। माता गायत्री देवी को वैदिक मंत्रो एवं धुनों की देवी भी कहा जाता है।
गायत्री माता की आरती
आरती श्री गायत्री जी की ॥ टेक ॥
ज्ञान को दीप और श्रद्धा की बाती ,
सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की ॥
॥ आरती श्री गायत्री जी की ॥
मानस की शुचि थाल के ऊपर ,
देवि की जोति जगै जंह नीकी ॥
॥ आरती श्री गायत्री जी की ॥
शुद्ध मनोरथ के जहां घण्टा ,
बाजै , करै पूरी आसहु ही की ॥
॥ आरती श्री गायत्री जी की ॥
जाके समक्ष हमें तिहु लोक की ,
गद्दी मिलै तबहुं लगे फीकी ॥
॥ आरती श्री गायत्री जी की ॥
आरति प्रेम सों नेम सो जो करि ,
ध्यावहि मूरत ब्रह्म लली की ॥
॥ आरती श्री गायत्री जी की ॥
संकट आवै न पास कबौ तिन्हें ,
सम्पदा और सुख की बन लीकी ॥
॥ आरती श्री गायत्री जी की ॥
माता गायत्री का मंत्र
ॐ भूभुर्वः स्वः तत्स्वितुवरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात ।
Hindu धर्म में गायत्री मंत्र को अत्यंत प्रभावी मंत्रो में से एक माना गया है। इस मंत्र का जाप रोज सुबह में किया जाता है। माता गायत्री में श्रद्धा रखने वाले भक्त गण रोज सुबह इस मंत्र का पाठ करते है।
गायत्री मंत्र का अर्थ
सृस्टि के कर्ता प्रकाश मय परमात्मा के प्रकाश का हम ध्यान करते है। जगद्गुरु परमात्मा का वह तेज हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे।
गायत्री माता के अस्त्र और शस्त्र
हमारे सभी देवी देवताओ के पास अपना अस्त्र रहता है। ये हमारे धर्मज्ञान का एक हिस्सा है। धर्म का रक्षण करने के लिए कभी कभी ज्ञान के साथ शस्त्र भी उठाने की जरुरत पड़ती है।
माता गायति के अस्त्र में शंख, चक्र, पद्म, परसु, गदा त्रिशूल खडग, तलवार मुंड और वेद है। माता गायत्री भगवान ब्रह्मा की पत्नी है। वेद की रचियिता है। गायत्री माता की आरती नित्य नियमित करने से संसार के सरे दुखो से मुक्ति मिलती है।
गायत्री माता की आरती सूने : -
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